मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में शनिवार को जीएमएस रोड स्थित उत्तराखंड जल विद्युत निगम के सभागार में ऊर्जा विभाग की अहम समीक्षा बैठक हुई। बैठक में यूजेवीएनएल, यूपीसीएल और पिटकुल के कार्यों की स्थिति, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
मुख्य सचिव की बैठक
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि किसी भी ऊर्जा परियोजना की निविदा प्रक्रिया उसी स्थिति में शुरू हो जब सभी जरूरी प्रशासनिक, पर्यावरणीय और तकनीकी अनुमतियां मिल चुकी हों। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट्स की तकनीकी, आर्थिकी और व्यवसायिक व्यवहारिकता का समुचित मूल्यांकन जरूरी है ताकि बाद में कोई रुकावट न आए।
प्रगति और समन्वय पर जोर
मुख्य सचिव ने तीनों निगमों को प्रोजेक्ट की प्रारंभिक लागत, विलंब की स्थिति में बढ़ी लागत और ऊर्जा दक्षता में आई हानि का विस्तृत विवरण देने को कहा। साथ ही निर्देशित किया कि केंद्र व राज्य सरकार के सभी संबंधित विभागों से समन्वय बनाकर प्रोजेक्ट्स को तय समयसीमा में पूरा किया जाए।
लॉस कम करने और स्मार्ट मीटर पर फोकस
यूपीसीएल को तराई क्षेत्रों में खंडवार विद्युत लॉस का ब्यौरा देने, स्मार्ट मीटरिंग प्रोजेक्ट में तेजी लाने और भूमिगत लाइन कार्यों के लिए जिला प्रशासन से समन्वय बढ़ाने के निर्देश मिले। वहीं, पिटकुल को ट्रांसमिशन सुधार के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण से राज्य के पारेषण तंत्र का अध्ययन कराने और हाईटेंशन लाइन के निरीक्षण को लेकर सख्त निर्देश दिए गए।
न्यूक्लियर पावर प्लांट की संभावना पर स्टडी
यूजेवीएनएल को राज्य में न्यूक्लियर पावर प्लांट की संभावना तलाशने और लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए गए। निगम को विकासशील परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति और पूर्णता की संभावित समयसीमा भी प्रस्तुत करने को कहा गया।
राजस्व और उपलब्धि
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य गठन के समय विद्युत उत्पादन क्षमता 1101 मेगावाट थी, जो अब बढ़कर 4264 मेगावाट हो गई है। 2024-25 में यूजेवीएनएल ने 1136 करोड़ रुपये का राजस्व और 95 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया है। सीएस ने कहा कि एशियाई विकास बैंक व अन्य योजनाओं के तहत चल रही परियोजनाओं की नियमित मॉनिटरिंग जरूरी है। साथ ही बोर्ड की संस्तुति प्राप्त कर ही प्रोजेक्ट आगे बढ़ाए जाएं।
