राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड, लोहाघाट में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने विभागीय कामकाज की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां के अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार के नाम से जारी एक लिखित आदेश में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को 17 मई तक दो-दो मुट्ठी चावल किसी मंदिर में चढ़ाने के निर्देश दिए गए। वजह? एक सहायक अभियंता की सेवा पुस्तिका के गुम हो जाने के बाद देवी-देवताओं से न्याय की उम्मीद है।
चर्चाओं में आ गया अफसर का आदेश
यह आदेश तेजी से चर्चाओं में आ गया है। आदेश में कहा गया कि अपर सहायक अभियंता जय प्रकाश की सेवा पुस्तिका अधिष्ठान सहायक की अलमारी से गायब हो गई है, और तमाम कोशिशों के बावजूद वह नहीं मिली। इसी के चलते अब दफ्तर के सभी कर्मियों को देवी आस्था के आधार पर दो मुट्ठी चावल मंदिर में चढ़ाने को कहा गया, ताकि देवता खुद न्याय करें।
स्थानीय परंपराओं का हवाला
गौरतलब है कि पहाड़ी क्षेत्रों में चोरी या गुमशुदगी के मामलों में लोग देवी-देवताओं के मंदिरों में अक्षत (चावल) चढ़ाकर दोषी के सामने आने की कामना करते हैं। लेकिन जब यह कदम एक सरकारी दफ्तर से आधिकारिक आदेश के रूप में सामने आया, तो मामला अजीब और गंभीर दोनों बन गया।
अधिशासी अभियंता ने किया किनारा
जब इस आदेश को लेकर अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार से फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह आदेश उन्होंने जारी नहीं किया है। उनके अनुसार, किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनके नाम से फर्जी आदेश तैयार कर विभागीय मर्यादा को तोड़ा है। इस पूरे मामले पर अब विभागीय कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है।
क्या कहते हैं नियम?
मुख्य अभियंता ने इस आदेश को सेवा नियमावली का उल्लंघन मानते हुए आशुतोष कुमार से तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। अब यह जांच का विषय है कि आदेश फर्जी है या वाकई लापरवाही हुई है। राज्य सेवाओं में इस तरह के ‘आस्था आधारित आदेश’ न केवल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन माने जाते हैं, बल्कि इससे प्रशासनिक कामकाज की गंभीरता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठते हैं। फिलहाल यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।