एक तरफ जब आधुनिक विज्ञान और तकनीकी प्रयास थकने लगे थे, उस अंधेरी सुरंग में उम्मीद की आखिरी लौ बाबा बौखनाग ही बने। बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिलक्यारा सुरंग ब्रेकथ्रू कार्यक्रम में भाग लेते हुए न सिर्फ इस ऐतिहासिक रेस्क्यू मिशन को याद किया, बल्कि उस अलौकिक आस्था को भी नमन किया जिसने पूरे अभियान को नई दिशा दी।
मुख्यमंत्री धामी ने बाबा बौखनाग मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में भी भाग लिया। खास बात यह रही कि वे देहरादून स्थित अपने आवास से स्वयं पूजा सामग्री और भेंट लेकर सिलक्यारा पहुंचे। उन्होंने बताया कि टनल में मजदूरों के फंसने के दौरान उन्होंने बाबा बौखनाग से मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था, और आज वह संकल्प पूर्ण हुआ।
मुख्यमंत्री ने किया बड़ा ऐलान
- सिलक्यारा टनल का नाम होगा ‘बाबा बौखनाग सुरंग’
- गेंवला-ब्रह्मखाल का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनेगा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र
- बौखनाग टिब्बा को विकसित किया जाएगा पर्यटन स्थल के रूप में
- स्यालना के पास बनेगा नया हेलीपैड
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बाबा बौखनाग ने पहाड़ों के रक्षक बनकर श्रमिकों के जीवन में नया प्रकाश डाला। जब सुरंग के मुख पर बाबा की मूर्ति स्थापित की गई, तो मानो अंधकार के भीतर रोशनी का प्रवेश हुआ और एक-एक कर सभी 41 श्रमिक सुरक्षित बाहर आ गए। इस टनल के निर्माण से चारधाम यात्रा मार्ग की दूरी 26 किलोमीटर तक कम हो जाएगी और इससे न केवल तीर्थयात्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि स्थानीय व्यापार और पर्यटन को भी नई उड़ान मिलेगी।
रेस्क्यू मिशन बना विश्वास की मिसाल
रेस्क्यू मिशन के समय मुख्यमंत्री धामी ने लगातार कैंप कर मोर्चा संभाले रखा। देश-दुनिया से जुटे तकनीकी विशेषज्ञों, NDRF, SDRF, रैट माइनर्स और अन्य एजेंसियों ने मिलकर एक ऐसे चमत्कार को संभव बनाया, जो वर्षों तक याद किया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में कहा, सिर्फ मशीनें नहीं, विश्वास भी काम करता है। बाबा बौखनाग की कृपा और टीम वर्क की ताकत ने इस असंभव कार्य को संभव कर दिखाया।