कांग्रेस का गढ़ रही अमेठी सीट पर कैसे हुआ BJP का कब्जा, पढ़ें सियासत के 57 साल

2024 के लोकसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में है पर अभी भी देश की कई सीटो पर पक्ष हो या विपक्ष किसी ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इन्हीं में एक वीवीआईपी सीटे अमेठी भी हैं जहां अब तक कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं, पर अगर हम अतीत के आइने में झांककर देखें तो ये सीट गांधी नेहरू परिवार के लिए खासा महत्वपूर्ण रही है।

पढ़ें सियासत के 57 साल

साल 1897 में अस्तित्व में आई अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस के दिग्गज राजनेताओं की कर्म भूमि मानी जाती है। इस सीट से संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी जैसे नेताओं ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी।

संजय गांधी की राजनीतिक ज़मीन मानी जाती है अमेठी

साल 1977 के लोकसभा चुनाव में सबसे पहली बार इस सीट पर गांधी नेहरू परिवार के संजय गांधी ने चुनाव लड़ा लिहाजा उस वक्त आपातकाल और नसबंदी जैसे अभियानों से निराश जंता ने उनपर अपना विश्वास नहीं जताया और इस चुनाव में वो जंता पार्टी के रविद्र प्रताप सिंह से हार गए अब साल 1980 में ये गैर कांग्रेसी सरकार गिर गई जिसके बाद एक बार फिर चुनाव हुए।

इस बार भी दोनों विपक्षी संजय गांधी और रविंद्र प्रताप आमने सामने थे इस चुनाव में  संजय गांधी ने अपनी हार का बदला लेते हुए विपक्षी रविंद्र प्रताप को 1,28,545 वोटों के अंतर से हरा दिया इस सीट पर ये गांधी परिवार की पहली जीत थी। आपको बता दें अमेठी की इस सीट को संजय गांधी की राजनीतिक ज़मीन माना जाता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी की साल 1971 के दौरान जब इस सीट पर विद्याधर वाजपेयी कांग्रेस पार्टी से सांसद थे तो उन्हें पता चला की संजय गांधी राजनीति में आ रहे हैं उस वक्त उन्होंने संजय गांधी को एक तौर से गोद ले लिया साथ ही एक सार्वजनिक घोषणा भी की कि वो अपनी सीट संजय गांधी के लिए छोड़ रहे हैं।

इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी

सतीश शर्मा पर जताया गया विश्वास

साल 1991 में संजय गांधी की हत्या हो गई इसके बाद उनके करीबी सतीश शर्मा पर कांग्रेस ने विश्वास जताया साल 1996 के चुनाव में सतीश शर्मा कांग्रेस के इस विश्वास पे खरे भी उतरे जब उन्होंने 40 हजार वोटों के अंतर से ये अमेठी सीट जीत ली हलांकि इसके बाद साल 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के संजय सिंह ने सतीश शर्मा को 23 हजार के अंतर से हरा दिया।

इसके अगले साल देश में एक बार फिर आम चुनाव हुए इस बार कांग्रेस से खुद सोनिया गांधी पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर मैदान में उतरी और साल 1999 में सोनिया गांधी ने एक बार फिर इस सीट पर गांधी परिवार का परचम लहराया।

गांधी परिवार की गढ़

यही से शुरू हुआ राहुल गांधी का चुनावी सफर

बात करें राहुल गांधी की तो इनके भी चुनावी सफर की स्टाटींग इसी सीट से हुई थी राहुल गांधी ने साल 2004 में इसी अमेठी सीट से चुनाव लड़ था जिसमें उन्हें जीत मिली और साल 2009 के आमचुनाव तक उन्होंने इस सीट पर गांधी परिवार का दबदबा कायम रखा।

राहुल गांधी को वापस नहीं मिली अमेठी

अब साल 2014 में देश में मोदी की लहर चली लेकिन फिर भी गांधी परिवार अपने गढ़ को बचाने में कामयाब रहा लिहाजा इस बार कांग्रेस की जीत का अंतर काफी था  लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार कांग्रेस की गढ़ मानी जाने वाली अमेठी सीट को नहीं बचा पाया और इस चुनाव में स्मृति ईरानी चुनाव जीत गई और कांग्रेस अमेठी सीट से हाथ धोना पड़ा।

भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया