डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्हें एक कमजोर प्रधानमंत्री कहा जाता था. यही नहीं उन्हें “मौन प्रधानमंत्री” का टैग भी दे दिया गया था, वो अपनी गंभीरता और हाजिरजवाबी से अपने श्रोताओं को अवाककर देते थे. प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कुल 114 प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं. अपनी अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था, इतिहास मेरे प्रति अधिक दयालु होगा.
देहरादून से रहा है मनमोहन सिंह का खास नाता
उनके निधन की खबर से ना सिर्फ देश बल्कि उनके आत्मीय जुड़ावों के केंद्र उत्तराखंड में भी शोक की लहर दौड़ गई. आज सारा उत्तराखंड पूर्व पीएम के यहां बिताए हुए पलों को याद कर रहा है. आज आपको बताते हैं की पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का उत्तराखंड से क्या नाता था. दरअसल डॉ मनमोहन सिंह को देहरादून की आबोहवा काफी पसंद थी. वो अकसर यहां आया जाया करते थे. यही नहीं बल्कि उन्होंने नैनीताल में देश के विकास की पटकथा भी लिखी थी.
इन खास लोगों से मिलने दून आते थे पूर्व PM
बता दें की पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ताऊ गोपाल सिंह कोहली देहरादून के रेसकोर्स में रहते थे. जब भी डॉ मनमोहन सिंह को अपने व्यस्त कार्यक्रमों से वक्त मिलता तो वो देहरादून आ जाया करते थे. रेसकोर्स में बिताए डॉ मनमोहन सिंह के खूबसूरत पल आज भी कोहली परिवार और देहरादून वासियों की यादों में ताजा हैं. इसी के साथ डॉ. मनमोहन सिंह का हिमालयन इंस्टीट्यूट, जौलीग्रांट के संस्थापक स्वामी राम जी से भी गहरा जुड़ाव था. जब भी वो यहां आते तो स्वामी राज जी से जरूर मिलते थे.
नैनीताल में लिखी थी विकास की पटकथा
उत्तराखंड से डॉ मन मोहन सिंह की यादें सिर्फ व्यक्तिगत संबंधों तक सीमित नहीं है बल्कि साल 2006 में उन्होंने नैनीताल में विकास की पटकथा भी लिख डाली थी. दरअसल उस दौरान 23-24 सितंबर को यहां कांग्रेस शासित प्रदेश के मुख्यमंत्रियों का राष्ट्रीय समागम हुआ. इस समागम में 14 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही कई केंद्रीय मंत्री शामिल थे. इस समागम में कांग्रेस की सत्ता वाले प्रदेशों के विकास और उन्हें दूसरे राज्यों के सामने आदर्श मॉडल की तरह प्रस्तुत करने के लिए नीतिगत कार्य योजना तैयार करनी थी.
उत्तराखंड भी शोक में डूबा
उत्तराखंड के इतिहास में ये समागम सबसे बड़ा सरकारी और राजनीतिक कार्यक्रम था. इसी कांग्रेस शासित प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के राष्ट्रीय समागम में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने विकास की पटकथा लिखी. मन अब मौन हो गए और देश शोक में डूबा है. आज देश ने एक महान अर्थशास्त्री, दूरदर्शी नेता और भारत की आर्थिकी के शिल्पकार को खो दिया. डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को हमेशा भारत याद रखेगा.
