जोशीमठ में जमीन धंसकने और दीवारों में दरार जैसी आपदा से जोशीमठ सहम सा गया हैं। जिसके कारण अब वहां के मंदिर भी खतरे की जद में पड़ गए हैं, जिसे देखते हुए बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर परिसर में बिना पूर्व अनुमति के वहां पर किसी भी प्रकार के आयोजन और गतिविधि पर रोक लगाने का आदेश जारी किया हैं।
आपको बता दे यह मंदिर करोड़ों भक्तों के लिए आस्था का प्रतिक हैं। मान्यता है कि भगवान नृसिंह के इस मंदिर की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य ने की थी. क्योंकि भगवान नृसिंह को वह अपना इष्टदेव मानते थे. इस मंदिर में आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी भी है. यह मंदिर करीब हजारों साल पुराना है और ठंड के समय भगवान बद्रीनाथ इसी गद्दी में आकर विराजमान होते है। कहा यह भी जाता है की जब भी कोई श्रद्धालु बद्रीनाथ मंदिर दर्शन के लिए जाता हैं वो इस मंदिर का दर्शन ज़रूर करता है।
