कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी उत्तराखंड की ये सीट, ऐसे पलटी बाजी

उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा कि लोकसभा सीट की अपनी अगल ही पहचान है आपको ये जानकर हैरानी होगी की जिस सीट पे पिछले कुछ दशकों से बीजेपी राज कर रही है किसी जमाने में इसी सीट पर कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था यहां तक की अल्मोड़ा के पहले सांसद भी कांग्रेस से ही थे।

अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट के अंदर बागेश्‍वर, चंपावत, पिथौरागढ़ और अल्‍मोड़ा ये चार जिले आते हैं आपको बता दें की अल्मोड़ा की ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पिछले कुछ सालों से इस सीट के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हो रहा है जिसमें हमेशा बिजेपी ने ही बाजी मारी है लेकिन एक वक्त ऐसा था जब अल्मोड़ा की ये लोकसभा सीट कांग्रेस के कब्जे में थी।

किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ थी अल्मोड़ा सीट

साल 1957 में अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट के लिए पहली बार चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस का मुकाबला प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से था 1957 के इस इलेक्शन में कांग्रेस को 49,549 वोट मिले थे और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को 40,422 जिसके बाद क्रांगेस पार्टी के हर गोविंद इस सीट से पहली बार सांसद बने और फिर साल 1971 तक जितने भी लोकसभा चुनाव हुए उसमें कांग्रेस ने ही जीत हासिल की।

अल्मोड़ा सीट पर कब कौन जीता

1962 में कांग्रेस के जंग बाहदुर बिष्ट ने 51,507 मतों से जीत हासिल की।

1967 में जे बी सिंह को 59,388 वोट मिले और वहीं साल 1971 में नरेद्र सिंह को 89,751 वोट मिले।

1977 में इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा तोड़ते हुए भारतीय लोक दल के मुरली मनोहर जोशी ने 153,409 मतों से जीत हासिल की, लेकिन फिर साल 1980 में क्रांगेस ने एक बार फिर ये सीट जीत ली और हरीश रावत सांसद बन गए हरीश रावत ने सन. 1989 तक यहां कांग्रेस का परचम लहराया, लेकिन अब पासा पलटने वाला था।

1991 के आम चुनाव में बिजेपी के जीवन सिंह ने 149761 वोटों से यहां जीत हासिल की।

साल 1996 में बच्ची सिंह रावत ने इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रखा साल 2004 तक बच्ची सिंह इस सीट से लगातार जीतते गए।

साल 2009 में जहां एक तरफ कांग्रेस पार्टी से प्रदीप टमटा चुनाव लड़ रहे थे वहीं बिजेपी ने अजय टमटा को टिकट दिया इस आम चुनाव में अल्मोड़ा की ये लोकसभा सीट कांग्रेस की झेली में ही गई। साल 2014 में बिजेपी के अजय टमटा ने अल्मोड़ा सीट पर बाजी मार ली और फिर उन्होंने मुड़ कर नहीं देखा इस साल के आम चुनाव में भी यही दो चहरे आमने सामने हैं।

इस सीट पर है कांटे का मुकाबला

अल्मोड़ा सीट

आपको बता दें कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा अल्मोड़ा, सोमेश्वर विधानसभा सीट से विधायक भी रहे और 15वीं लोकसभा के सदस्य भी रहे। इसके साथ ही वो राज्य सभा के सांसद भी रहे दिलचस्प बात ये है की प्रदीप टम्टा राज्य सभा जाने वाले पहले दलित नेता भी रहे हैं और वहीं अजय टम्टा साल 1996 में अल्मोड़ा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष बने। साल 2002 में उन्होंने निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गए। इसके बाद साल 2007 और 2012 में सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे साल 2009 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा था जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वो कुछ समय के लिए समाज कल्याण मंत्री भी रहे। साल 2016 में वो मोदी मंत्रिमंडल में सिर्फ 44 साल की उम्र में केंद्रीय टेक्सटाइल राज्य मंत्री भी रहे। बता दें कि साल 2014 में उन्होंने सांसद की सीट दो लाख से ज्यादा मतों से जीत कर रिकॉर्ड बनाया था।

इस सीट पर है सबसे ज्यादा महिला वोटर्स

आपको बता दें की अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा महिला वोटर्स ही हैं जहां एक तरफ अल्मोड़ा में महिला वोटर्स का आंकड़ा 2 लाख 60 हजार से ऊपर पहुंच गया है वही यहां युवा वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी एक बार फिर चार साल से एक दूसरे को टक्कर का मुकाबला देने वाले प्रदीप टम्टा और अजय टम्टा एक बार फिर आमने सामने हैं अब देखना ये होगा की अल्मोड़ा की इस लोकसभा सीट में आखिर कौन सबसे ज्यादा युवाओं और महिलाओं को खुद पर विश्वास दिला पाता है।