रामपुर तिराहा कांड : आंदोलन के दो बलात्कारी दोषी करार, 30 साल बाद आया फैसला

अलग राज्य की मांग को लेकर रामपुर तिराहा कांड मामले में आखिरकार 30 साल बाद महिलाओं के साथ दरिंदगी मामले में शुक्रवार को फैसला आ गया है. कोर्ट ने दो पुलिस कर्मियों को दोषी माना है। आगामी 18 मार्च को मामले में अब सजा सुनाई जाएगी।

तीन दशक की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद जगी इंसाफ की उम्मीद

तीन दशक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है। 1994 में उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए देहरादून के सैकड़ों लोग बसों में भरकर दिल्ली जा रहे थे। मुजफ्फरनगर में पुलिस ने इन्हें रोक लिया। पुलिस की फायरिंग में 7 राज्य आंदोलनकारियों की मौत हुई थी। इस मामले में कई पुलिसवालों पर हत्या, रेप, डकैती के भी आरोप लगे थे।

प्रदर्शन करने गई महिलाओं के साथ हुआ था दुष्कर्म

उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शन करने गई महिलाओं के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा मुलायम सिंह सरकार में बलात्कार किया गया था। इसके साथ ही कई निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाई गई थीं, जो आज भी एक इतिहास में काले दिन के रूप में दर्ज है। एडीजे शक्ति सिंह की कोर्ट ने रामपुर तिराहा कांड मामले में दो आरोपियों को दोषी माना है। कोर्ट ने मिलाप सिंह व वीरेंदर प्रताप को दोषी करार दिया है। बता दें यह दोनों 2 अक्टूबर 1994 को पीएसी 41 वीं वाहिनी मे तैनात थे।आरोपियों के खिलाफ IPC 376, 354, 509 में दोष सिद्ध हुए हैं।

नेताओं के आदेश पर दिया था दरिंदगी को अंजाम

अलग राज्य बनाने की मांग लेकर दिल्ली जाते समय रामपुर तिराहे पर आंदोलनकारी व पुलिस के बीच संघर्ष हुआ था। पुलिस ने गोली चलाने के अलावा उच्च अधिकारियों और सरकार में बैठे शीर्ष नेताओं के आदेश पर महिला आंदोलनकारियों के साथ बलात्कार किया था। इस घटना के बाद उत्तराखंड में कई जगह कर्फ्यू लगाया गया था। इस दौरान पुलिस की गोली से कई आंदोलनकारियों की मौत हुई और कई लोग घायल हो गए थे। सरकार के खिलाफ पूरे उत्तराखंड में प्रदर्शन होने लगा था. दोषियों को सजा देने के लिए लगातार आवाज़ उठती रहीं। आखिरकार 30 साल बाद इनमें से दो आरोपियों को आरोपी माना गया है। अब 18 मार्च को इस पर सजा का फैसला आएगा।